July 13, 2025 3:49 pm

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काशी में शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र का भव्य उद्घाटन भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण एवं प्रसार की दिशा में ऐतिहासिक पहल

काशी में शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र का भव्य उद्घाटन भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण एवं प्रसार की दिशा में ऐतिहासिक पहल

भारतीय शास्त्रीय विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आज वाराणसी में “शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र” का भव्य उद्घाटन संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की प्रेरणा से स्थापित इस केंद्र का लोकार्पण महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे द्वारा किया गया।

धर्मसंघ सभागार, श्री स्वामी करपात्री जी महाराज आश्रम, दुर्गाकुंड स्थित श्री धर्मसंघ मठ मंदिर परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से पधारे विद्वानों, संन्यासियों, शोधकर्ताओं और संस्कृति प्रेमियों की विशेष उपस्थिति रही।

कार्यक्रम के आरंभ में संस्थापक श्री रामानंद तिवारी ने केंद्र की संकल्पना प्रस्तुत करते हुए कहा, “शाश्वत ही सनातन है और सनातन ही शाश्वत। जब तक हम शास्त्रों से नहीं जुड़ेंगे, आत्मज्ञान की यात्रा अधूरी रहेगी।”

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा, “यह संग्रहालय आम जनमानस विशेषकर युवाओं को शास्त्रों के प्रति आकर्षित करने में सहायक सिद्ध होगा।”

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री एकनाथ शिंदे ने बाबा विश्वनाथ और माँ गंगा को नमन करते हुए कहा, “काशी में इस प्रकार की पहल भारत की सांस्कृतिक आत्मा को पुनः जाग्रत करने वाली है। यह संस्थान केवल एक संग्रहालय नहीं, बल्कि सनातन जीवन दृष्टि का प्रतीक है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकास और विरासत—दोनों के संतुलन से आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने कहा, शास्त्र और शस्त्र की संयुक्त शक्ति से ही भारत को पुनः विश्वगुरु बनाया जा सकता है। ग्रंथों का डिजिटलीकरण और संरक्षण इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”

 

शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष श्री भुजंग बोबडे ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कहा, “काशी युगों से ज्ञान, साधना और दर्शन का केंद्र रही है। इस संग्रहालय की स्थापना शोधार्थियों और संस्कृत विद्वानों के लिए एक अमूल्य धरोहर सिद्ध होगी।”

 

कार्यक्रम के समापन अवसर पर श्री एकनाथ शिंदे ने दुर्लभ ग्रंथों पर आधारित एक विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में विज्ञान भैरवकल्प (शारदा लिपि), शिवपूजाविधि, बिजक (त्रिधा), ऋग्वेद संहिता (सर्ग 1–8), सामवेद, ऐतरेय ब्राह्मण, केनोपनिषद, हनुमत संहिता, आर्यभटीय, विवेक मार्तण्ड (गोरक्षशत), वशिष्ठ स्मृति, तंत्रसार कर्मप्रकाश सहित अनेक दुर्लभ पांडुलिपियों का समावेश किया गया। यह केंद्र प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण के साथ-साथ उनके डिजिटलीकरण, शोध, व्याख्या, भाषांतर और समाज तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न आधुनिक संसाधनों से युक्त होगा। यह आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनरुत्थान की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।

 

शास्त्र संग्रहालय एवं अनुसंधान केंद्र
धर्मसंघ मठ मंदिर, दुर्गाकुंड, वाराणसी
ईमेल: info@shastramuseum.in | वेब: www.shastramuseum.in

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Author: Liveupweb

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