केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने वाराणसी में ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन किया
मादक पदार्थों के सेवन के विरुद्ध हमारी सामूहिक लड़ाई में हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत आत्म-जागरूकता, उद्देश्यपूर्ण जीवन एवं सामुदायिक भागीदारी होनी चाहिए : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

भारतीय युवा अमृत काल के अग्रदूत हैं और अगर हमें 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है तो हमें सबसे पहले नशा मुक्त भारत सुनिश्चित करना होगा – डॉ. मांडविया
120 से ज्यादा आध्यात्मिक संगठनों के 600 से अधिक युवा प्रतिनिधि राष्ट्रीय युवा नेतृत्व वाले नशा विरोधी अभियान की शुरुआत के लिए एकत्रित हुए

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज वाराणसी, उत्तर प्रदेश में रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र में ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ विषय पर ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित यह शिखर सम्मेलन नशा मुक्त भारत के लिए मूल्य-आधारित युवा अभियान के लिए भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जैसा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत के व्यापक लक्ष्य के अंतर्गत परिकल्पना की है। शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का एक विशेष संदेश भी साझा किया गया, जो युवा नेतृत्व वाले अभियान को प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्रदान करता है। अपने संदेश में, प्रधानमंत्री ने कहा कि “युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन 2025 एक सराहनीय पहल है जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों की एक मजबूत, जागरूक और अनुशासित पीढ़ी का निर्माण करना है। नशा न केवल व्यक्तिगत क्षमता को कम करता है बल्कि परिवार एवं समाज की नींव को भी खोखला कर देता है। मादक पदार्थों के सेवन के विरुद्ध हमारी सामूहिक लड़ाई में हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत आत्म-जागरूकता, उद्देश्यपूर्ण जीवन एवं सामुदायिक भागीदारी होनी चाहिए।”120 से ज्यादा आध्यात्मिक संगठनों के 600 से अधिक युवा प्रतिनिधियों को एकत्रित करने वाला यह शिखर सम्मेलन देश की युवा शक्ति को मादक पदार्थों के खतरे के खिलाफ आवाज उठाने का एक स्पष्ट आह्वान है। अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ. मांडविया ने कहा कि अमृत काल की वास्तविक क्षमता को दिशा प्रदान करना अमृत पीढ़ी के हाथों में है और जोर देकर कहा कि एक राष्ट्र जो 2047 तक विकसित होना चाहता है उसे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके युवा नशे की लत से मुक्त हों। उन्होंने कहा, “भारत के युवा अमृत काल के अग्रदूत हैं। अगर हमें 2047 तक एक विकसित भारत बनाना है तो हमें सबसे पहले नशा मुक्त भारत बनाना होगा।”इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बल देकर कहा कि यह शिखर सम्मेलन एक सामूहिक संकल्प है। यह नशा मुक्त भारत अभियान को एक सच्चा जन आंदोलन बनाने के लिए प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी का आह्वान करता है। उन्होंने आगे कहा कि “नशा नहीं, नवनिर्माण चाहिए। इस सपने को साकार करने के लिए हमें इस संकल्प को शिखर सम्मेलन से आगे बढ़ाते हुए, हर घर, हर परिवार और हर समुदाय तक लेकर जाना होगा। तभी हम एक विकसित राष्ट्र की ओर तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।”








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