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“अब यूपी में गोकशी नहीं होती बल्कि गऊ माता अर्थव्यवस्था को कर रहीं मजबूत”
“योगी आदित्यनाथ स्वयं गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं, उनकी गौशाल में हैं विभिन्न नस्ल के गोवंश”
“गोवंश संरक्षण को सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्रांति में बदला गया”
“2 जनवरी 2019 को देश में पहली बार निराश्रित गोवंश संरक्षण नीति उत्तर प्रदेश में लागू की गई।”
“2017 से पहले गोवंश संरक्षण की कोई नीति नहीं थी।”
“मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना और नंदिनी कृषक समृद्धि योजना” जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत हुई।
“आज प्रदेश में 7,717 गो-आश्रय स्थल हैं, जिनमें 12.52 लाख गोवंश संरक्षित हैं।”
“प्रत्येक वृहद गो-संरक्षण केंद्र के निर्माण पर 1.60 करोड़ रुपये निवेश”
“2,202 पशु चिकित्सालयों के अतिरिक्त 39 नए चिकित्सालय और 2,575 पशु सेवा केंद्र स्थापित किए गए।”
“520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स क्रियाशील हैं।”
“प्रति गोवंश प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से 7.5 करोड़ रुपये खर्च।”
“पशुपालन अवसंरचना विकास निधि और नेशनल लाइवस्टॉक मिशन के तहत 1,238.67 करोड़ रुपये का निवेश।”
“578 डेयरी और पशुपालन इकाइयों से 2,221.99 करोड़ रुपये का निवेश।”
ग्राम स्तर पर जैविक खेती को बढ़ावा मिल रहा है और गोवंश को छोड़ने की प्रवृत्ति में कमी आई है।
“जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं गोबर आधारित उत्पाद।”
“घनामृत, जीवामृत जैसे उत्पाद प्राकृतिक खेती के लिए उपयोगी साबित हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की कुल जीएसडीपी (₹25.63 लाख करोड़) में पशुपालन क्षेत्र का योगदान ₹1.67 लाख करोड़ है।
राष्ट्रीय जीडीपी में पशुपालन का योगदान जहां 4.11% है, वहीं उत्तर प्रदेश में यह 7.1% है- जो गौ आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उत्तर प्रदेश मॉडल की सफलता का प्रमाण है।
योगी सरकार ने गोवंश को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाकर युवाओं और महिलाओं के लिए लाखों रोजगार के अवसर खोले।
प्रदेश में प्रतिदिन 5,500 टन गोबर का उत्पादन होता है, जिससे वर्मी कम्पोस्ट, गोकाष्ठ, गोदीप, धूपबत्ती, पंचगव्य, जीवामृत, घनामृत आदि उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
इन उत्पादों की इकाइयों में महिला समूहों को जोड़ा गया है, जिससे महिलाओं को आय और आत्मनिर्भरता मिली है।
“गो-आश्रय स्थलों में महिला समूहों की भागीदारी से सशक्त हो रही प्रदेश की नारी।”
“नंदिनी कृषक समृद्धि योजना में 50% महिलाओं को लाभ।”
“गोबर-गोमूत्र आधारित इकाइयों में महिला समूहों की सहभागिता से आत्मनिर्भरता।”
“स्वदेशी नस्लों जैसे साहीवाल, गीर और थारपारकर के पालन को प्रोत्साहन”
“2024-25 में 3.08 लाख कृत्रिम गर्भाधान नि:शुल्क।”
“लम्पी स्किन डिजीज के लिए 1.52 करोड़ टीकाकरण।”
“2024-25 में कुल 1,648 लाख टीकाकरण का कार्य।”
“32.34 लाख पशुओं को मोबाइल यूनिट से चिकित्सा सेवा।”
“प्रदेश में 390 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हो रहा है।”
“पशुपालन क्षेत्र की हिस्सेदारी 1.67 लाख करोड़ रुपये की जीएसडीपी में योगदान।”
“डीबीटी के माध्यम से 6,500 गौपालकों को अनुदान व पुरस्कार।”
“टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, पशु बीमा सभी योजनाएं पारदर्शी ऑनलाइन मॉनिटरिंग के तहत।”
