बायर क्रॉप साइंस के प्रतिनिधि ने किया आइसार्क का दौरा, खेती को बेहतर बनाने पर हुई चर्चा
वाराणसी। बायर क्रॉप साइंस की चार सदस्यीय टीम ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान केंद्र (इरी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र, वाराणसी का दौरा किया। इस दौरे का मकसद धान की खेती में संयुक्त रूप से चल रहे कार्यों की समीक्षा करना और भविष्य की साझेदारी पर चर्चा करना था। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व फेडरिको वर्तोरेली और हेमा रेड्डी ने किया। उनका स्वागत आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह और वैज्ञानिकों की टीम ने किया। इस एक दिवसीय यात्रा में बायर की टीम ने आइसार्क के शोध और प्रशिक्षण केंद्र का दौरा किया। चर्चा में मुख्य रूप से हाइब्रिड धान, धान की सीधी बुआई (डीएसआर), नई किस्मों का विकास, खेती में मशीनों और डिजिटल तकनीक का उपयोग, और किसानों को प्रशिक्षण देने जैसे विषयों पर बातचीत हुई।
बायर की टीम ने भारत में हाइब्रिड धान को आगे बढ़ाने में रुचि दिखाई। उन्होंने खासतौर पर बीज की उपलब्धता, कीमत, किसानों की क्षमता विकास, धान की सीधी बुआई की तकनीक से मेल और उपभोक्ताओं की पसंद जैसी बातों पर चर्चा की। फेडरिको वर्तोरेली ने बताया कि जैसे अर्जेंटीना में किसानों ने हाइब्रिड मक्का अपनाया, वैसे ही भारत में भी किसानों को क्षमता विकास एवं व्यवाहरिक ज्ञान देकर हाइब्रिड धान की खेती को अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाली नई पीढ़ी अब ऐसे चावल की मांग करती है जो स्वादिष्ट और अच्छी गुणवत्ता वाला हो, और हाइब्रिड धान इसमें मदद कर सकता है। अंत में, बायर और इरी ने अपनी मौजूदा साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया ताकि खेती को आसान, सुदृढ और किसानों के लिए फायदेमंद बनाया जा सके। दोनों संस्थान जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और किसानों की समृद्धि के लिए अपनी संयुक्त साझेदारी को आगे भी मजबूत करते रहेंगे।
