दोषसिद्ध खेल अधीक्षक के खिलाफ़ दाखिल अपील निरस्त
️वाराणसी। छेड़खानी के चेतगंज थाने के एक मामले में संदेह से परे साबित होने पर दोषमुक्त खेल अधीक्षक के खिलाफ़ दाखिल अपील को अदालत ने निरस्त कर दिया। विशेष न्यायाधीश (एससी-एसटी, एक्ट) देवकांत शुक्ला की अदालत ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पंचम) के फैसले को सही माना पीड़िता की ओर दाखिल अपील को सुनवाई योग्य नहीं मानते हुए खारिज कर दिया। अदालत में बचाव आरोपी की ओर से अधिवक्ता संजीव राय व विनोद शर्मा ने पक्ष रखा।
️प्रकरण के मुताबिक पीड़िता ने फौजदारी अपील दं प्र. सं धारा 378 (1) अपीलार्थी उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पंचम) द्वारा आपराधिक वाद सरकार बनाम लालजी मिश्रा मारपीट कर लज्जा भंग करने चेतगंज थाने के मामले में पारित /आदेश 5 फरवरी 2022 से क्षुब्ध होकर योजित की गयी है। अपीलार्थी द्वारा अपील में विचारण न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार मुख्यतः जो आधार बिंदु बनाये गये हैं वह यह है कि एफआईआर को विलम्ब से दर्ज करायी गयी थी। वादिनी की एफआईआर में सभी तथ्यों का कथन नही किया गया था। साक्षियो के बयानों में विरोधाभास तथा अभियोग को संदेह से परे साबित नही होने का दिया गया है। घटना 11 मार्च 2013 सुबह 10:15 की है। जिसकी एफआईआर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश से 14 अप्रैल 2013 को थाना चेतगंज में दर्ज की गयी। पीड़िता ने अपने जिरह में कथन किया है कि घटना के संबंध में सूचना 20 मार्च 2013 को वाइस चांसलर को दिया था। घटना से वह शाक्ड व डर गयी थी इस कारण सूचना नही दे पायी, जब वह नार्मल हुयी तब सूचना दिया गया। कुछ लोगों को उसी दिन बताया था, कुछ को बाद में बताया था। पीड़िता के साथ विश्वविद्यालय परिसर में घर घुसकर घटना कारित की गयी, जिससे महिला का शाक्ड व डर जाना स्वाभाविक है। महिला एक सम्मानित शिक्षिका है। ऐसे मामलों में एफआईआर में बिलम्भ होना स्वाभाविक है। जबकि उच्चतम न्यायालय ने कहां है कि एफआईआर में देरी का उचित व संतोषजनक स्पष्टीकरण है तो बिलम्भ घातक नहीं है।
पीड़िता ने अपनी तहरीर बयान कहा कि 11 मार्च 2013 को समय 10:15 बजे दिन को खेल अधीक्षक लालजी मिश्रा उसके घर आये डोर बेल बजाने पर पीड़िता ने दरवाज़ा खोला तो वह अचानक से उसके ऊपर झपटे और बल प्रयोग करते हुए हाथों को मरोड़ते हुए पीछे की ओर धक्का दिया। बगल में रखे दिवान बेड पर गिरा दिया। शारीरिक रूप से अभद्र व्यवहार किया व छेड़खानी किया।
