अहमदाबाद प्लान हादसे में मौत को मात दे निकला रमेश अहमदाबाद: कभी-कभी ज़िंदगी अपने सबसे दर्दनाक क्षणों में भी एक ऐसा चमत्कार दिखा देती है, जो विज्ञान की सीमाओं से परे चला जाता है। गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में गुरुवार सुबह घटी एअर इंडिया की भीषण विमान दुर्घटना में जब हर तरफ सिर्फ राख, लाशें और चीख-पुकार का मंज़र था।उसी मलबे के बीच से एक शख्स ऐसा निकला जिसने न केवल ज़िंदगी को हराया, बल्कि इंसानी जज़्बे और कुदरत की रहमत का ऐसा उदाहरण पेश किया जो शायद आने वाले वर्षों तक याद रखा जाएगा।
गुजरात के अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रहे एअर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान AI-171 में कुल 242 यात्री सवार थे, जिनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित कई नामचीन लोग शामिल थे। विमान ने जैसे ही उड़ान भरी, टेकऑफ के चंद मिनटों बाद वह तकनीकी विफलता के कारण शहर के घनी आबादी वाले मेघाणी नगर इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसा इतना भयानक था कि चंद सेकंड में पूरा इलाका धुएं, आग और चीखों से भर गया। घटनास्थल से अब तक 100 से अधिक शव बरामद किए जा चुके हैं। परंतु इसी बर्बादी के बीच एक नाम चमत्कार बनकर सामने आया,रमेश विश्वास कुमार।
रमेश, जो सीट 11A पर बैठे थे, विमान के पिछली ओर की खिड़की के पास थे। जब विमान ने ऊंचाई पकड़ी थी और 625 फीट पर था, तभी एक जोरदार धमाके के साथ उसमें आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक विमान दो हिस्सों में टूट चुका था। इन्हीं में से एक हिस्सा जिसमें रमेश मौजूद थे, खुले मैदान की ओर गिरा। लेकिन किस्मत की स्याही शायद उस दिन उनके नाम की कहानी अलग लिख रही थी। गिरने के बाद वह मलबे में फंसे जरूर, पर होश में रहे। आसपास पिघली हुई सीटें, जलते शरीर और टूटे पुर्जों के बीच से रमेश खुद को खींचते हुए बाहर लाए और अपनी घायल टांगों के साथ चलकर पास की सड़क तक पहुंचे।
स्थानीय लोगों ने पहले तो उन्हें पहचानने में वक्त लिया, क्योंकि चारों तरफ लाशें और जले हुए शरीर थे। लेकिन जैसे ही यह खबर फैली कि एक व्यक्ति जिंदा है और चलकर आ रहा है, वहां मौजूद लोगों की आंखों में एक अद्भुत विस्मय और आंसू छलक पड़े। अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर जीएस मलिक ने पुष्टि की कि रमेश विश्वास को जीवित पाया गया और तत्काल सिविल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां फिलहाल उनका इलाज जारी है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनके शरीर पर कई गंभीर चोटें हैं लेकिन हालत स्थिर है।
पुलिस की शुरुआती जांच में यह जानकारी सामने आई है कि विमान में 80 से 90 टन ईंधन भरा हुआ था, क्योंकि यह एक लंबी उड़ान के लिए तैयार था। यही कारण था कि हादसे के बाद आग इतनी भयानक फैली कि आसपास की कई इमारतें भी चपेट में आ गईं। घटनास्थल पर मौजूद राहत और बचाव दलों को शवों की पहचान करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। कई शव बुरी तरह जल चुके हैं, डीएनए जांच के बाद ही उनकी पहचान संभव हो पाएगी।
इधर, बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने इसे देश की सबसे दर्दनाक हवाई दुर्घटनाओं में से एक बताया। उन्होंने कहा, “यह हादसा बेहद दुखद और चिंताजनक है। ड्रीमलाइनर जैसे हाई-टेक विमान का इस तरह दुर्घटनाग्रस्त होना बहुत बड़ी जांच की मांग करता है।”
वहीं नागरिक उड्डयन मंत्रालय और DGCA ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच एजेंसियां विमान के ब्लैक बॉक्स को बरामद करने में जुटी हैं, जो घटना की असली वजह सामने लाने में मदद करेगा।
पर इन सबके बीच, रमेश की जीवित वापसी एक ऐसी कहानी बनकर उभरी है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। सोशल मीडिया से लेकर हर जनपथ और गलियों तक एक ही सवाल है।“कैसे बच गए रमेश?” शायद इसका जवाब विज्ञान नहीं दे सकता, लेकिन भारत की सदियों पुरानी कहावत एक बार फिर चरितार्थ हो गई।”जाको राखे साइयां, मार सके न कोय।”
यह कहानी सिर्फ एक व्यक्ति के बचाव की नहीं, बल्कि आशा की लौ की है, जो सबसे काले अंधेरों में भी बुझती नहीं। रमेश आज अस्पताल के बेड पर हैं, लेकिन उनके चेहरे पर एक संतोष है, कि मौत से मुकाबला कर वे ज़िंदगी की गोद में लौट आए।
