तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में है: शिवराज सिंह चौहान
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आपातकाल के लिए कांग्रेस को नाक रगडकर माफी मांगनी चाहिए: शिवराज सिंह चौहान
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कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात के 50 वर्ष
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डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के समय स्कूल का प्रेसिडेंट था मैं स्कूल का वह काला दिन याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं अपनी सत्ता बचाने ने की चाहत में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया औचित्य का कारण क्या था ना भाई सुरक्षा को खतरा था ना आंतरिक सुरक्षा को खतरा था तो केवल प्रधानमंत्री की कुर्सी पर खतरा था 12 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया था केंद्र जी ने प्रशासन का दुरुपयोग किया भ्रष्टाचार का सहारा लिया और गलत तरीके से चुनाव जीता था और 6 साल तक उनके कोई भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था अगर लोकतंत्र को मानने वाली कांग्रेस होती तो तत्काल फैसला होता है कि ठीक है एक प्रधानमंत्री ने बदल दिया जाए दूसरा देख जब तक कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट का यार और कोई ना आ जाए लेकिन कुर्सी नहीं छोड़ सकते परिवार की रहेगी दूसरे के हाथ में नहीं जा सकती प्रधानमंत्री मैं ही रहूंगी और इसलिए 25 जून की रात बिना कैबिनेट की बैठक की है आपातकाल घोषित कर दिया गया सारे नागरिक अधिकार सस्पेंड कर दिए गए संविधान की हत्या कर दी गई संविधान की हत्यारी है कांग्रेस संविधान की हत्यारी नागरिक अधिकारों को सस्पेंड कर देना मौलिक अधिकारों को छीन लेना इस संविधान की हत्या है प्रेस के स्वतंत्रता पर ताला डाल देना यह संविधान की हत्या न्यायालय के अधिकारों को कम कर देना प्रभावी बना देना संविधान की हत्या थी पूरे देश को जेल खाना बनाना यह संविधान की हत्या लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी गई लोकतंत्र सारे विपक्षी दल और स्टूडेंट तक जेल में ठोस दिए गए केवल कुर्सी बचाने के लिए संविधान की प्रतिहात में लेकर घूमते हैं उनका जवाब देना पड़ेगा अगर सलाकारी के तुर्कमान गेट पर घर तोड़ लोगों की हत्या लोकतंत्र में होती है जनता पर गोली नहीं चली थी यह संविधान की हत्या थी नसबंदी जिस ढंग से हुई नसबंदी कर दी वार्न की नसबंदी कर दी गई कोई अपील नहीं कोई वकील नहीं यह संविधान की हत्या थी संविधान की हत्यारी है कांग्रेस कांग्रेस के संविधान के प्रति रखने का अधिकार नहीं है वह कल दिन आज तक याद है तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में जब उनकी सरकार होती है स्वर्गीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे कब फैसला हुआ तो फैसले की प्रति से प्रधानमंत्री विदेश में प्रेस के सामने फाड़ के कागज को नहीं पड़ा था संविधान की धज्जियां उड़ाई गई थी यह संविधान की हत्या थी यह संविधान की हत्यारी कांग्रेस बाद भारतीय जनता पार्टी की करती है हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी की संविधान को जीते लोकतंत्र को जीते हैं संविधान का आदर करते हैं और प्रधानमंत्री बैंक अगर वह संसद की सीढ़ियां चढ़े तो सबसे पहले उन्होंने मत्था ठेका संविधान के आधार की भाषा भावना लोकतंत्र का आधार यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीते हैं इसलिए संविधान दिवस आजाद भारत में स्वतंत्र भारत में मनाने का काम किया तो प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने किया लोकतंत्र भारतीय जनता पार्टी के स्वभाव में प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने एक टीम बनाई टीम इंडिया जिसमें प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री अकेले में किसी भी डाल के मुख्यमंत्री को शामिल किया और नीति आयोग का गठन किया संविधान की मूल भावना का आधार है जब देश कभी संकट में आया तो विपक्षी दलों के सांसदों को भी प्रतिमंडल में प्रतिनिधिमंडल में शामिल करके दुनिया में भेजा इस संविधान की मूल भावना का आधार है लोकतंत्र का अपमान करने वाली कांग्रेस को आज मैं कहता हूं देश से माफी मांगनी चाहिए अभी तक माफी नहीं मांगी जमाने में हजारों परिवारों में तबाह हो गए हजारों परिवार बर्बाद हो गए थे और मित्रों में जी भोपाल जेल में था हमारे नेता थे जनसंख्या उसे समय हसमत वारसी जी युवा से बहुत अच्छे वक्ता थे वह जल में हमारे सामने थक गए कि इनका इलाज के लिए ले जाया जाए उनको जेल के बाहर इलाज के लिए नहीं ले जाया गया और अंकित उन्होंने तड़प तड़प के दम तोड़ दिया खून की उल्टियां हुई और जब ले जा रहे थे अस्पताल तब उन्होंने अंतिम सांस ले ली लोगों को उल्टा लटकाया गया बर्फ की स्त्रियों पर लिटाया गया करंट लगाकर प्रस्तावित किया गया ऐसे अमानसिक अत्याचार तो कभी अंग्रेजों ने भी नहीं किया और इसलिए मित्रों देश कभी भूल ना और फिर कभी आपातकाल ना लगे इसलिए संविधान हत्या दिवस मनाना जरूरी है केवल कुर्सी बचाने के लिए इंदिरा जी ने कांग्रेस ने क्या-क्या किया था दिवस मनाते हैं ताकि और फिर कभी ऐसा काला दिल ना आए कांग्रेस के अध्यक्ष छल्ला मचा रहे हैं लेकिन वही बता दे कि कांग्रेस में के लोकतंत्र है क्या कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस नहीं चलाते आज भी एक परिवार कांग्रेस चल रहा है नकली चेहरा सामने आए असली सूरज छुपी रहे एक परिवार की तानाशाही आज भी कांग्रेस में चल रही है तो हमसे जवाब मांगने के बजाय घर के सांप की खुद की हैसियत कांग्रेस में क्या है पहले इसका जवाब दे दे लोकतंत्र का सम्मान रहे लोकतंत्र आगे बढ़े मैं देखता हूं प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को काम करते हुए भारत की कैबिनेट का मैं भी सदस्य हूं एक-एक मंत्री से पूछते प्रधानमंत्री जी कुछ कहना है जरूर कहिए और सबके कहने के बाद जो मूल भावना होती है उसका आदर करते हुए मैं प्रधानमंत्री जी को देखा है लोकतंत्र सीखना है तो प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी से सीखे कांग्रेस हम लोकतंत्र भारतीय जनता पार्टी जीती है लोकतंत्र की भावनाओं का आदर करती है लेकिन कांग्रेस ने जो किया उसके लिए मैं फिर दौड़ आ रहा हूं नाक रगड़ के देश से कांग्रेस को माफी मांगना चाहिए हमसे यह ऐतिहासिक गलती हुई थी धन्यवाद जी ने इंदिरा गांधी के चुनाव को चुनौती दिया था जिसके कारण उनका चुनाव अवैध घोषित हुआ था आप जहां बैठे हैं यहां से 15 किलोमीटर दूर पर गंगापुर उनका गांव है स्थान है आखिर युवाओं को प्रेरणा देने के लिए राजनाथ जी को कैसे आप युवाओं से रूबरू कर आएंगे कि न्यायपालिका की लड़ाई संविधान की लड़ाई हमारे यूथ लड़े मैं राज्य स्वर्गीय राज नारायण जी के चरणों में प्रणाम करता हूं वह अपने ढंग के अनूठे नेता थे और उन्हें के प्रभावशाली तर्कों से चुनाव का सच सामने आया था मैं इस बात का पद धर्म के स्वर की राजधानी जैसे नेताओं क्या लोकतंत्र का जो काला अध्याय बैठा हूं भारत अत्यंत और प्राचीन और महान राष्ट्र और भारत का जो मूल भाव है वह सर्व धर्म संभव है यह भारत है जिसे आज नहीं हजारों साल पहले का एकम सब विप्र बहुदा बदांती सत्य एक विद्वान उसको अलग-अलग तरीके से कहते हैं यह भारत है जो कहता है मुंडे मुंडे मटर बिना अलग-अलग भाव का भी आदर करने वाला स्वामी विवेकानंद सिक्का को जाकर यह कहा था कि किसी रास्ते चलो अंत तक पहुंचोगे परमपिता परमात्मा के पास सर्वधर्म समभाव यह भारतीय संस्कृति का मूल है धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जी धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए और दूसरी बात है समाजवाद की आत्महत्या सर्वभूतेषु अपने जैसा सबको मानो यह भारत का मूल विचार है नाम तू वसुदेव कुटुंबकम यह सारी दुनिया ही एक परिवार है यह भारत का मूल भाव है जियो और जीने दो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो सर्वे भवंतु शुक्ला सर्वे संतु निरामया यह भारत का मूल भाव है इसलिए यहां समाजवाद की जरूरत नहीं है हम तो वर्षों पहले से करें सिया राम में सब जग जानी सबको एक जैसा मन इसलिए समाजवाद शब्द की भी आवश्यकता नहीं है देश को इस पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए दूसरी बात आपने जल जाने की कहानी मैं तो उसमें 16 साल का 11वीं में पढ़ता था टेन प्लस टू की व्यवस्था नहीं थी 11वीं के बाद कॉलेज में एडमिशन होता था लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का आंदोलन 1974 में महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार और गलत शिक्षा पद्धति के खिलाफ चल रहा था मैं भी स्कूल का प्रेसिडेंट हो गया मुझे लगा कि गलत हो रहा है और उसके बाद जब आपातकाल लगा तो आपातकाल लगने के आखिरी 9:30 महीने में 9 अप्रैल को क्योंकि मैं साइकिल स्टाइल परिचय बनता था आपातकाल बताओ इंद्र तेरी तानाशाही नहीं चलेगी कहीं से भनक लगी तुम्हें तो गांव का लड़का था कमरा किराए पर लेकर पड़ता था पुलिस ने दरवाजा खटखटाया मैंने खोला तो कहा तू ही शिवराज सिंह चौहान है तो पहले तो थप्पड़ मार मुझे और फिर जैसी गाली दी वह गली में दोहरा नहीं सकता और यह कहा कि तू आंदोलन चलाएगा इंदिरा गांधी के खिलाफ पकड़ के घर सिखाते हुए सीडीओ से पहली मंजिल पर मेरा कमरा था किराए पर लेकर रहता था घसीट टीवी में लेकर हबीबगंज थाने और वहां घुटनों में और कहानियों में ऐसे डंडे मार के आदमी जब बरसात आई है और बादल कलेक्टर है तो अभी भी उन दिनों की याद आ जाती दर्द होता है रात भर प्रताड़ित किया फिर हथकड़ियां लगाकर सवेरे जल ले जाए पूछते थे बताओ उसके घर ले जाकर मजिस्ट्रेट सिग्नेचर किया और फिर पैदल हातकडी लगाकर पैदल ले जा रहे थे किसको ले जाओ दो सिपाहियों के हाथ में दिया तो तब तक एक तांगे में कुछ बच्चे आ रहे थे स्कूल के उनको लगा हथकड़ी लगी है तो यह चोर होगा तूने का चोर होगा कर मैं कर शब्द सुना तो अंतरात्मा मेरी एकदम गुस्से में रोटी दी थी तो कर समझ नहीं तो मैं अकेली नारे लगाना शुरू किया जुल्म के आगे नहीं झुकूंगा जुलम किया तो और लडूंगा तो फिर पैदल से बस में बिठाया भाभी करने लगे कितने छोटे लड़के को ले जा रहे हैं यह तो अन्याय है बाद में ऑटो में भी नारे लगाते आज भी लगता है कि किया कैसे इतना बड़ा पाप और अन्य कोई करके जा सकता है और इसलिए मैं कहता हूं बार-बार किसी मां-बाप के लिए माफी मांगनी चाहिए इमरजेंसी से लेकर लोकतंत्र के अभिषेक को लेकर अपने चर्चा की यहां पर मंत्री जी लोकतंत्र के मूल्य से जुड़ा हुआ एक जो विषय है वह उत्तर प्रदेश में काफी चर्चा में है आपको भी लगता है की कथा कहने वाले लोग हैं उनकी कोई जाति निर्धारित होनी चाहिए भारत में हमेशा जाति की व्यवस्था को स्वरूप में नहीं देखा चतुर्वेदी ने मेरा सिस्टम गाकर में विभाग से गीता जी में कहा हुआ है हम ऐसे जातिवाद में विश्वास नहीं रखते ऐसा अगर कहीं हुआ है तो गलत हुआ है आज जब से सरकार 2014 से आई है बीजेपी की सरकार लगातार पत्रकारों पर लगातार आरोपी लगाए जाते हैं और सवाल पूछने पर इस तरीके से आप लोग एक उनके ऊपर जिस तरीके से कानून व्यवस्था के तहत उनके प्रतिमा मुकदमे लाभ देते हैं और उनकी नौकरी भी चली जाती है तो आप कैसे मानते हैं कि 2014 के बाद से अभी तक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो भी पत्रकार रिश्ते हैं यह इस बात का गवाह है कि आप सवाल पूछ रहे हैं कांग्रेस में तो कभी होता नहीं था उसे जमाने में सवाल पूछना भी मुश्किल था कोई इक्का दुख का अपवाद स्वरूप ऐसी घटनाएं हो सकती है वैसी घटना का संज्ञान लिया जाना चाहिए लेकिन लोकतंत्र भी सुरक्षित है और जो हमारा लोकतंत्र का आधार स्तंभ है प्रेस उसकी स्वतंत्रता भी सुरक्षित है कोई उसकी तरफ उंगली उठा नहीं सकता मंत्री जी आपके सर 50 साल आपातकाल को हो गया यह अभी भी है अभी तक जितना इस साल 25 तारीख से लेकर के आपातकाल की चर्चा हो रही है कहीं विधायक बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर के इसकी चर्चा तो नहीं जोर से बनाई जा रही 50 साल किसी भी घटना को होना एक महत्वपूर्ण माना जाता है और 50 साल पूरा होने पर 50 साल में लोग भूल न जाए याद रहे इसलिए यह चर्चा की जा रही है ताकि फिर लोकतंत्र को कहीं खतरा पैदा ना हो सके आप बीजेपी सरकार आने वाले बच्चों को स्कूल में इसकी पाठ पढ़ाई जाएगी
लोकतंत्र को क्षतविक्षत कर रक्तरंजित करने वाले आपातकाल की भयावहता आज भी स्मृतियों में जीवित है। कांग्रेस ने अपने दम्भ और अहंकार में क्रूरता और दमन की पराकाष्ठा से 50 वर्ष पूर्व लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक व्यवस्थाओं पर सीधा हमला किया। उस समय मै 16 साल का था आज भी वो काला दिन याद करके रेगोंटे खडे हो जाते है।
उक्त बातें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने “आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। कहा कि संविधान की हत्यारी है कांग्रेस पार्टी। सभी मौलिक अधिकार कैसिल कर दिए गये। पुरे देश को जेलखाना बना दिया। सारे विपक्षी दलों को जेलों मे ठूंस दिया गया।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवैधानिक मूल्यों के लिए जीते है लोकतंत्र का आदर करते है। 2014 में जब पहली बार संसद पहुंचे तब उन्होंने संसद की सीढियों पर मत्था टेका। कहा कि लोकतंत्र भाजपा के स्वभाव में है। कहा कि हमारी सरकार संविधान की मूल भावना का आदर करती है। जब जरुरत पडी तो विपक्षी दलों को सरकार का प्रतिनीधि बनाकर भेजा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। तानाशाही का़ग्रेंस के डीएनए में है। कहा कि मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली। उनके विपक्षी उम्मीदवार राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव को भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर चुनौती दी। कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बाकायदा बहिष्कृत पत्रकारों की लिस्ट जारी की थी जिनकी डिबेट में जाने से कांग्रेस प्रवक्ताओं को मना किया गया था। जहां एक ओर तो ये अपने शासन में पत्रकारों पर मुकदमे करते हैं वहीं दूसरी विपक्ष में होने पर उनका बहिष्कार कर देते हैं। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना और देश की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खराब करना कांग्रेस की नई “डिजिटल इमरजेंसी” रणनीति बन चुकी है। जब देश हर मोर्चे पर प्रगति कर रहा है, तब कांग्रेस सरकार की हर उपलब्धि को झुठलाने में लगी है, यह वही नकारात्मक मानसिकता है जिसने 1975 में देश की पीछे खींचा था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा, सैन्य कार्रवाई या विदेश नीति पर कांग्रेस जिस तरह सेना पर सवाल उठाती है, वह केवल राजनीतिक अवसरवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रहित के विरुद्ध तर्कहीन विरोध है। न्यायपालिका में हस्तक्षेप, “फ्री स्पीच के नाम पर अराजकता और मीडिया ट्रायल को बढ़ावा देकर कांग्रेस आज नए तरीकों से वही आपातकाल लागू करना चाहती है। कांग्रेस जिन संस्थाओं को लोकतंत्र का रक्षक कहती है, उन्हीं संस्थाओं को अपने शासन में रबर स्टैम्प बना देती है। यह दोहरापन आज भी उनकी राजनीति में स्पष्ट दिखाई देता है। कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की मानसिकता आज भी “हम ही राष्ट्र हैं” की सोच से बंधे हैं और यही कारण है कि उन्हें जनता का स्पष्ट बहुमत भी हमेशा “लोकतंत्र का संकट” नजर आता है। भ्रष्टाचार के मामलों में जब भी गांधी परिवार पर जांच आती है, कांग्रेस “लोकतंत्र खतरे में है” का शोर मचाती है, याद कीजिए यही भाषा इंदिरा गांधी ने अदालत से अयोग्य घोषित होने के बाद अपनाई थी। कांग्रेस सरकार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक को भंग कर दिया, ताकि कोई संस्थान उनकी सेंसरशिप और मीडिया पर हमले की आलोचना न कर सके। जो कांग्रेस एक समय प्रेस पर सेंसरशिप थोपती थी, वही आज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें फैलाने वालों को खुला संरक्षण देती है। कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया कि जो भी अधिकारी या जज उनके इशारों पर न चले, उन्हें या तो हटा दिया जाए या उसका ट्रांस्फर कर दिया जाए।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ना सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के लिए बल्कि वैचारिक एजेंडे थोपने के लिए भी संविधान के साथ खिलवाड़ किया। संविधान में संशोधन कर “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” जैसे शब्द जोड़े गए, ताकि कांग्रेस अपने वैचारिक एजेंडे को राष्ट्र पर थोप सके। इसी संशोधन से आपातकाल की अवधि बढ़ा दी गई और राष्ट्रपति को संसद की पूर्व मंजूरी के बिना भी आपातकाल घोषित करने का अधिकार मिल गया। इंदिरा गांधी ने मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी की परंपरा को तोड़ते हुए सभी निर्णय एक व्यक्ति के इशारे पर किए। कहा कि विरोधियों को जेलों में मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं, किसी को दवा नहीं दी गई, किसी को गर्मी में बिना पंखे के बंद रखा गया। महिला कैदियों के साथ भी अमानवीय व्यवहार हुआ, उन्हें न तो आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी “राहुल-प्रियंका के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है और सत्ता की चाबी अब भी सिर्फ खानदानी जेब में रखी जाती है। कांग्रेस का समस्त तंत्र आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि जो संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने जनता को अधिकार देने के लिए बनाया था, कांग्रेस ने उसी को हथियार बनाकर जनता के अधिकार छीन लिए। आपातकाल के 21 महीनों में कांग्रेस ने हर आलोचक, हर असहमति और हर विपक्षी विचार को “देशद्रोह” का तमगा देकर कुचल डाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय साधारण कार्यकर्ता हुआ करते थे और उनके जैसे लाखों समर्पित स्वयंसेवकों ने रातों-रात रेलों में पर्चे बांटे, संदेश पहुंचाए और कांग्रेस की सच्चाई हर गांव और गली तक पहुंचाई। कांग्रेस की तानाशाही का विरोध केवल राजनीतिक नहीं था, यह भारत की आत्मा की रक्षा का आंदोलन था जिसमें राष्ट्रवादियों ने जान की बाजी लगाई। कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र के साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया लेकिन आज भी वह अपने किए के लिए न तो माफी मांगती है और न ही पछतावा प्रकट करती है। आज संविधान बचाओ का नारा देने वाली कांग्रेस वही पार्टी है जिसने संविधान को बेरहमी से रौंदा था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आपातकाल गांधी परिवार की उस सोच का परिचायक था, जिसमें स्पष्ट हो गया था कि उनके लिए पार्टी और सत्ता परिवार के लिए होती है, देश और संविधान के लिए नहीं। कहा कि आज कांग्रेस में चेहरे बदल गए है, लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ जस का तस है। 50 वर्ष बाद आज आपातकाल को याद करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह इतिहास की एक घटना मात्र नहीं बल्कि कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण भी है। कहा कि संविधान के अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को रौंदा गया, संसद और न्यायपालिका को अपंग बना दिया गया। 1975 में आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया। कहा कि कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन, धार्मिक तुष्टीकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है। यह सब आपातकालीन सोच की ही उपज है।
एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मै उस समय 16 वर्ष का था ओर 11वीं में पढता था। एक दिन रात को पुलिस मेरे घर के दरवाजे पर आयी और पुछा कि शिवराज सिंह तुम्ही हो तो मैने कहा हां, इस पर पुलिस ने कहा इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज उठाएगा और इतना कहकर पुलिस ने मेरे हांथो में हथकडी लगाई और मुझे थाने ले गयी और रातभर मुझे यातनाए दी। कहा कि आज भी उस दिन को याद करता हूं तो रुह कांप जाती है। कहा कि आपातकाल के लिए कांग्रेस को देशवासियों से नाक रगडकर माफी मांगनी चाहिए।
पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल, जिलाध्यक्ष व एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मोर्या, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, सह मीडिया प्रभारी संतोष सोलापुरकर, अशोक कुमार पांडेय उपस्थित रहे।
तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में है: शिवराज सिंह चौहान
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आपातकाल के लिए कांग्रेस को नाक रगडकर माफी मांगनी चाहिए: शिवराज सिंह चौहान
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डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स के समय स्कूल का प्रेसिडेंट था मैं स्कूल का वह काला दिन याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं अपनी सत्ता बचाने ने की चाहत में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया औचित्य का कारण क्या था ना भाई सुरक्षा को खतरा था ना आंतरिक सुरक्षा को खतरा था तो केवल प्रधानमंत्री की कुर्सी पर खतरा था 12 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया था केंद्र जी ने प्रशासन का दुरुपयोग किया भ्रष्टाचार का सहारा लिया और गलत तरीके से चुनाव जीता था और 6 साल तक उनके कोई भी चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था अगर लोकतंत्र को मानने वाली कांग्रेस होती तो तत्काल फैसला होता है कि ठीक है एक प्रधानमंत्री ने बदल दिया जाए दूसरा देख जब तक कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट का यार और कोई ना आ जाए लेकिन कुर्सी नहीं छोड़ सकते परिवार की रहेगी दूसरे के हाथ में नहीं जा सकती प्रधानमंत्री मैं ही रहूंगी और इसलिए 25 जून की रात बिना कैबिनेट की बैठक की है आपातकाल घोषित कर दिया गया सारे नागरिक अधिकार सस्पेंड कर दिए गए संविधान की हत्या कर दी गई संविधान की हत्यारी है कांग्रेस संविधान की हत्यारी नागरिक अधिकारों को सस्पेंड कर देना मौलिक अधिकारों को छीन लेना इस संविधान की हत्या है प्रेस के स्वतंत्रता पर ताला डाल देना यह संविधान की हत्या न्यायालय के अधिकारों को कम कर देना प्रभावी बना देना संविधान की हत्या थी पूरे देश को जेल खाना बनाना यह संविधान की हत्या लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा दी गई लोकतंत्र सारे विपक्षी दल और स्टूडेंट तक जेल में ठोस दिए गए केवल कुर्सी बचाने के लिए संविधान की प्रतिहात में लेकर घूमते हैं उनका जवाब देना पड़ेगा अगर सलाकारी के तुर्कमान गेट पर घर तोड़ लोगों की हत्या लोकतंत्र में होती है जनता पर गोली नहीं चली थी यह संविधान की हत्या थी नसबंदी जिस ढंग से हुई नसबंदी कर दी वार्न की नसबंदी कर दी गई कोई अपील नहीं कोई वकील नहीं यह संविधान की हत्या थी संविधान की हत्यारी है कांग्रेस कांग्रेस के संविधान के प्रति रखने का अधिकार नहीं है वह कल दिन आज तक याद है तानाशाही कांग्रेस के डीएनए में जब उनकी सरकार होती है स्वर्गीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे कब फैसला हुआ तो फैसले की प्रति से प्रधानमंत्री विदेश में प्रेस के सामने फाड़ के कागज को नहीं पड़ा था संविधान की धज्जियां उड़ाई गई थी यह संविधान की हत्या थी यह संविधान की हत्यारी कांग्रेस बाद भारतीय जनता पार्टी की करती है हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी की संविधान को जीते लोकतंत्र को जीते हैं संविधान का आदर करते हैं और प्रधानमंत्री बैंक अगर वह संसद की सीढ़ियां चढ़े तो सबसे पहले उन्होंने मत्था ठेका संविधान के आधार की भाषा भावना लोकतंत्र का आधार यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीते हैं इसलिए संविधान दिवस आजाद भारत में स्वतंत्र भारत में मनाने का काम किया तो प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने किया लोकतंत्र भारतीय जनता पार्टी के स्वभाव में प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने एक टीम बनाई टीम इंडिया जिसमें प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्री अकेले में किसी भी डाल के मुख्यमंत्री को शामिल किया और नीति आयोग का गठन किया संविधान की मूल भावना का आधार है जब देश कभी संकट में आया तो विपक्षी दलों के सांसदों को भी प्रतिमंडल में प्रतिनिधिमंडल में शामिल करके दुनिया में भेजा इस संविधान की मूल भावना का आधार है लोकतंत्र का अपमान करने वाली कांग्रेस को आज मैं कहता हूं देश से माफी मांगनी चाहिए अभी तक माफी नहीं मांगी जमाने में हजारों परिवारों में तबाह हो गए हजारों परिवार बर्बाद हो गए थे और मित्रों में जी भोपाल जेल में था हमारे नेता थे जनसंख्या उसे समय हसमत वारसी जी युवा से बहुत अच्छे वक्ता थे वह जल में हमारे सामने थक गए कि इनका इलाज के लिए ले जाया जाए उनको जेल के बाहर इलाज के लिए नहीं ले जाया गया और अंकित उन्होंने तड़प तड़प के दम तोड़ दिया खून की उल्टियां हुई और जब ले जा रहे थे अस्पताल तब उन्होंने अंतिम सांस ले ली लोगों को उल्टा लटकाया गया बर्फ की स्त्रियों पर लिटाया गया करंट लगाकर प्रस्तावित किया गया ऐसे अमानसिक अत्याचार तो कभी अंग्रेजों ने भी नहीं किया और इसलिए मित्रों देश कभी भूल ना और फिर कभी आपातकाल ना लगे इसलिए संविधान हत्या दिवस मनाना जरूरी है केवल कुर्सी बचाने के लिए इंदिरा जी ने कांग्रेस ने क्या-क्या किया था दिवस मनाते हैं ताकि और फिर कभी ऐसा काला दिल ना आए कांग्रेस के अध्यक्ष छल्ला मचा रहे हैं लेकिन वही बता दे कि कांग्रेस में के लोकतंत्र है क्या कांग्रेस अध्यक्ष कांग्रेस नहीं चलाते आज भी एक परिवार कांग्रेस चल रहा है नकली चेहरा सामने आए असली सूरज छुपी रहे एक परिवार की तानाशाही आज भी कांग्रेस में चल रही है तो हमसे जवाब मांगने के बजाय घर के सांप की खुद की हैसियत कांग्रेस में क्या है पहले इसका जवाब दे दे लोकतंत्र का सम्मान रहे लोकतंत्र आगे बढ़े मैं देखता हूं प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी को काम करते हुए भारत की कैबिनेट का मैं भी सदस्य हूं एक-एक मंत्री से पूछते प्रधानमंत्री जी कुछ कहना है जरूर कहिए और सबके कहने के बाद जो मूल भावना होती है उसका आदर करते हुए मैं प्रधानमंत्री जी को देखा है लोकतंत्र सीखना है तो प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी से सीखे कांग्रेस हम लोकतंत्र भारतीय जनता पार्टी जीती है लोकतंत्र की भावनाओं का आदर करती है लेकिन कांग्रेस ने जो किया उसके लिए मैं फिर दौड़ आ रहा हूं नाक रगड़ के देश से कांग्रेस को माफी मांगना चाहिए हमसे यह ऐतिहासिक गलती हुई थी धन्यवाद जी ने इंदिरा गांधी के चुनाव को चुनौती दिया था जिसके कारण उनका चुनाव अवैध घोषित हुआ था आप जहां बैठे हैं यहां से 15 किलोमीटर दूर पर गंगापुर उनका गांव है स्थान है आखिर युवाओं को प्रेरणा देने के लिए राजनाथ जी को कैसे आप युवाओं से रूबरू कर आएंगे कि न्यायपालिका की लड़ाई संविधान की लड़ाई हमारे यूथ लड़े मैं राज्य स्वर्गीय राज नारायण जी के चरणों में प्रणाम करता हूं वह अपने ढंग के अनूठे नेता थे और उन्हें के प्रभावशाली तर्कों से चुनाव का सच सामने आया था मैं इस बात का पद धर्म के स्वर की राजधानी जैसे नेताओं क्या लोकतंत्र का जो काला अध्याय बैठा हूं भारत अत्यंत और प्राचीन और महान राष्ट्र और भारत का जो मूल भाव है वह सर्व धर्म संभव है यह भारत है जिसे आज नहीं हजारों साल पहले का एकम सब विप्र बहुदा बदांती सत्य एक विद्वान उसको अलग-अलग तरीके से कहते हैं यह भारत है जो कहता है मुंडे मुंडे मटर बिना अलग-अलग भाव का भी आदर करने वाला स्वामी विवेकानंद सिक्का को जाकर यह कहा था कि किसी रास्ते चलो अंत तक पहुंचोगे परमपिता परमात्मा के पास सर्वधर्म समभाव यह भारतीय संस्कृति का मूल है धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है और इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जी धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया उसको हटाया जाए और दूसरी बात है समाजवाद की आत्महत्या सर्वभूतेषु अपने जैसा सबको मानो यह भारत का मूल विचार है नाम तू वसुदेव कुटुंबकम यह सारी दुनिया ही एक परिवार है यह भारत का मूल भाव है जियो और जीने दो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो सर्वे भवंतु शुक्ला सर्वे संतु निरामया यह भारत का मूल भाव है इसलिए यहां समाजवाद की जरूरत नहीं है हम तो वर्षों पहले से करें सिया राम में सब जग जानी सबको एक जैसा मन इसलिए समाजवाद शब्द की भी आवश्यकता नहीं है देश को इस पर निश्चित तौर पर विचार करना चाहिए दूसरी बात आपने जल जाने की कहानी मैं तो उसमें 16 साल का 11वीं में पढ़ता था टेन प्लस टू की व्यवस्था नहीं थी 11वीं के बाद कॉलेज में एडमिशन होता था लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का आंदोलन 1974 में महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार और गलत शिक्षा पद्धति के खिलाफ चल रहा था मैं भी स्कूल का प्रेसिडेंट हो गया मुझे लगा कि गलत हो रहा है और उसके बाद जब आपातकाल लगा तो आपातकाल लगने के आखिरी 9:30 महीने में 9 अप्रैल को क्योंकि मैं साइकिल स्टाइल परिचय बनता था आपातकाल बताओ इंद्र तेरी तानाशाही नहीं चलेगी कहीं से भनक लगी तुम्हें तो गांव का लड़का था कमरा किराए पर लेकर पड़ता था पुलिस ने दरवाजा खटखटाया मैंने खोला तो कहा तू ही शिवराज सिंह चौहान है तो पहले तो थप्पड़ मार मुझे और फिर जैसी गाली दी वह गली में दोहरा नहीं सकता और यह कहा कि तू आंदोलन चलाएगा इंदिरा गांधी के खिलाफ पकड़ के घर सिखाते हुए सीडीओ से पहली मंजिल पर मेरा कमरा था किराए पर लेकर रहता था घसीट टीवी में लेकर हबीबगंज थाने और वहां घुटनों में और कहानियों में ऐसे डंडे मार के आदमी जब बरसात आई है और बादल कलेक्टर है तो अभी भी उन दिनों की याद आ जाती दर्द होता है रात भर प्रताड़ित किया फिर हथकड़ियां लगाकर सवेरे जल ले जाए पूछते थे बताओ उसके घर ले जाकर मजिस्ट्रेट सिग्नेचर किया और फिर पैदल हातकडी लगाकर पैदल ले जा रहे थे किसको ले जाओ दो सिपाहियों के हाथ में दिया तो तब तक एक तांगे में कुछ बच्चे आ रहे थे स्कूल के उनको लगा हथकड़ी लगी है तो यह चोर होगा तूने का चोर होगा कर मैं कर शब्द सुना तो अंतरात्मा मेरी एकदम गुस्से में रोटी दी थी तो कर समझ नहीं तो मैं अकेली नारे लगाना शुरू किया जुल्म के आगे नहीं झुकूंगा जुलम किया तो और लडूंगा तो फिर पैदल से बस में बिठाया भाभी करने लगे कितने छोटे लड़के को ले जा रहे हैं यह तो अन्याय है बाद में ऑटो में भी नारे लगाते आज भी लगता है कि किया कैसे इतना बड़ा पाप और अन्य कोई करके जा सकता है और इसलिए मैं कहता हूं बार-बार किसी मां-बाप के लिए माफी मांगनी चाहिए इमरजेंसी से लेकर लोकतंत्र के अभिषेक को लेकर अपने चर्चा की यहां पर मंत्री जी लोकतंत्र के मूल्य से जुड़ा हुआ एक जो विषय है वह उत्तर प्रदेश में काफी चर्चा में है आपको भी लगता है की कथा कहने वाले लोग हैं उनकी कोई जाति निर्धारित होनी चाहिए भारत में हमेशा जाति की व्यवस्था को स्वरूप में नहीं देखा चतुर्वेदी ने मेरा सिस्टम गाकर में विभाग से गीता जी में कहा हुआ है हम ऐसे जातिवाद में विश्वास नहीं रखते ऐसा अगर कहीं हुआ है तो गलत हुआ है आज जब से सरकार 2014 से आई है बीजेपी की सरकार लगातार पत्रकारों पर लगातार आरोपी लगाए जाते हैं और सवाल पूछने पर इस तरीके से आप लोग एक उनके ऊपर जिस तरीके से कानून व्यवस्था के तहत उनके प्रतिमा मुकदमे लाभ देते हैं और उनकी नौकरी भी चली जाती है तो आप कैसे मानते हैं कि 2014 के बाद से अभी तक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो भी पत्रकार रिश्ते हैं यह इस बात का गवाह है कि आप सवाल पूछ रहे हैं कांग्रेस में तो कभी होता नहीं था उसे जमाने में सवाल पूछना भी मुश्किल था कोई इक्का दुख का अपवाद स्वरूप ऐसी घटनाएं हो सकती है वैसी घटना का संज्ञान लिया जाना चाहिए लेकिन लोकतंत्र भी सुरक्षित है और जो हमारा लोकतंत्र का आधार स्तंभ है प्रेस उसकी स्वतंत्रता भी सुरक्षित है कोई उसकी तरफ उंगली उठा नहीं सकता मंत्री जी आपके सर 50 साल आपातकाल को हो गया यह अभी भी है अभी तक जितना इस साल 25 तारीख से लेकर के आपातकाल की चर्चा हो रही है कहीं विधायक बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर के इसकी चर्चा तो नहीं जोर से बनाई जा रही 50 साल किसी भी घटना को होना एक महत्वपूर्ण माना जाता है और 50 साल पूरा होने पर 50 साल में लोग भूल न जाए याद रहे इसलिए यह चर्चा की जा रही है ताकि फिर लोकतंत्र को कहीं खतरा पैदा ना हो सके आप बीजेपी सरकार आने वाले बच्चों को स्कूल में इसकी पाठ पढ़ाई जाएगी
लोकतंत्र को क्षतविक्षत कर रक्तरंजित करने वाले आपातकाल की भयावहता आज भी स्मृतियों में जीवित है। कांग्रेस ने अपने दम्भ और अहंकार में क्रूरता और दमन की पराकाष्ठा से 50 वर्ष पूर्व लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक व्यवस्थाओं पर सीधा हमला किया। उस समय मै 16 साल का था आज भी वो काला दिन याद करके रेगोंटे खडे हो जाते है।
उक्त बातें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्किट हाउस में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने “आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। कहा कि संविधान की हत्यारी है कांग्रेस पार्टी। सभी मौलिक अधिकार कैसिल कर दिए गये। पुरे देश को जेलखाना बना दिया। सारे विपक्षी दलों को जेलों मे ठूंस दिया गया।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवैधानिक मूल्यों के लिए जीते है लोकतंत्र का आदर करते है। 2014 में जब पहली बार संसद पहुंचे तब उन्होंने संसद की सीढियों पर मत्था टेका। कहा कि लोकतंत्र भाजपा के स्वभाव में है। कहा कि हमारी सरकार संविधान की मूल भावना का आदर करती है। जब जरुरत पडी तो विपक्षी दलों को सरकार का प्रतिनीधि बनाकर भेजा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। तानाशाही का़ग्रेंस के डीएनए में है। कहा कि मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली। उनके विपक्षी उम्मीदवार राज नारायण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव को भ्रष्ट आचरण और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर चुनौती दी। कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बाकायदा बहिष्कृत पत्रकारों की लिस्ट जारी की थी जिनकी डिबेट में जाने से कांग्रेस प्रवक्ताओं को मना किया गया था। जहां एक ओर तो ये अपने शासन में पत्रकारों पर मुकदमे करते हैं वहीं दूसरी विपक्ष में होने पर उनका बहिष्कार कर देते हैं। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना और देश की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खराब करना कांग्रेस की नई “डिजिटल इमरजेंसी” रणनीति बन चुकी है। जब देश हर मोर्चे पर प्रगति कर रहा है, तब कांग्रेस सरकार की हर उपलब्धि को झुठलाने में लगी है, यह वही नकारात्मक मानसिकता है जिसने 1975 में देश की पीछे खींचा था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि देश की सुरक्षा, सैन्य कार्रवाई या विदेश नीति पर कांग्रेस जिस तरह सेना पर सवाल उठाती है, वह केवल राजनीतिक अवसरवाद नहीं, बल्कि राष्ट्रहित के विरुद्ध तर्कहीन विरोध है। न्यायपालिका में हस्तक्षेप, “फ्री स्पीच के नाम पर अराजकता और मीडिया ट्रायल को बढ़ावा देकर कांग्रेस आज नए तरीकों से वही आपातकाल लागू करना चाहती है। कांग्रेस जिन संस्थाओं को लोकतंत्र का रक्षक कहती है, उन्हीं संस्थाओं को अपने शासन में रबर स्टैम्प बना देती है। यह दोहरापन आज भी उनकी राजनीति में स्पष्ट दिखाई देता है। कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की मानसिकता आज भी “हम ही राष्ट्र हैं” की सोच से बंधे हैं और यही कारण है कि उन्हें जनता का स्पष्ट बहुमत भी हमेशा “लोकतंत्र का संकट” नजर आता है। भ्रष्टाचार के मामलों में जब भी गांधी परिवार पर जांच आती है, कांग्रेस “लोकतंत्र खतरे में है” का शोर मचाती है, याद कीजिए यही भाषा इंदिरा गांधी ने अदालत से अयोग्य घोषित होने के बाद अपनाई थी। कांग्रेस सरकार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया तक को भंग कर दिया, ताकि कोई संस्थान उनकी सेंसरशिप और मीडिया पर हमले की आलोचना न कर सके। जो कांग्रेस एक समय प्रेस पर सेंसरशिप थोपती थी, वही आज डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फर्जी खबरें फैलाने वालों को खुला संरक्षण देती है। कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया कि जो भी अधिकारी या जज उनके इशारों पर न चले, उन्हें या तो हटा दिया जाए या उसका ट्रांस्फर कर दिया जाए।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ना सिर्फ अपनी सत्ता को बचाने के लिए बल्कि वैचारिक एजेंडे थोपने के लिए भी संविधान के साथ खिलवाड़ किया। संविधान में संशोधन कर “धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” जैसे शब्द जोड़े गए, ताकि कांग्रेस अपने वैचारिक एजेंडे को राष्ट्र पर थोप सके। इसी संशोधन से आपातकाल की अवधि बढ़ा दी गई और राष्ट्रपति को संसद की पूर्व मंजूरी के बिना भी आपातकाल घोषित करने का अधिकार मिल गया। इंदिरा गांधी ने मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी की परंपरा को तोड़ते हुए सभी निर्णय एक व्यक्ति के इशारे पर किए। कहा कि विरोधियों को जेलों में मानसिक और शारीरिक यातनाएं दी गईं, किसी को दवा नहीं दी गई, किसी को गर्मी में बिना पंखे के बंद रखा गया। महिला कैदियों के साथ भी अमानवीय व्यवहार हुआ, उन्हें न तो आपातकाल के दौरान एक परिवार को संविधान से ऊपर रखने वाली कांग्रेस आज भी “राहुल-प्रियंका के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है और सत्ता की चाबी अब भी सिर्फ खानदानी जेब में रखी जाती है। कांग्रेस का समस्त तंत्र आज भी परिवार के चरणों में समर्पित है।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि जो संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने जनता को अधिकार देने के लिए बनाया था, कांग्रेस ने उसी को हथियार बनाकर जनता के अधिकार छीन लिए। आपातकाल के 21 महीनों में कांग्रेस ने हर आलोचक, हर असहमति और हर विपक्षी विचार को “देशद्रोह” का तमगा देकर कुचल डाला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय साधारण कार्यकर्ता हुआ करते थे और उनके जैसे लाखों समर्पित स्वयंसेवकों ने रातों-रात रेलों में पर्चे बांटे, संदेश पहुंचाए और कांग्रेस की सच्चाई हर गांव और गली तक पहुंचाई। कांग्रेस की तानाशाही का विरोध केवल राजनीतिक नहीं था, यह भारत की आत्मा की रक्षा का आंदोलन था जिसमें राष्ट्रवादियों ने जान की बाजी लगाई। कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र के साथ इतना बड़ा विश्वासघात किया लेकिन आज भी वह अपने किए के लिए न तो माफी मांगती है और न ही पछतावा प्रकट करती है। आज संविधान बचाओ का नारा देने वाली कांग्रेस वही पार्टी है जिसने संविधान को बेरहमी से रौंदा था।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आपातकाल गांधी परिवार की उस सोच का परिचायक था, जिसमें स्पष्ट हो गया था कि उनके लिए पार्टी और सत्ता परिवार के लिए होती है, देश और संविधान के लिए नहीं। कहा कि आज कांग्रेस में चेहरे बदल गए है, लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ जस का तस है। 50 वर्ष बाद आज आपातकाल को याद करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि यह इतिहास की एक घटना मात्र नहीं बल्कि कांग्रेस की मानसिकता का प्रमाण भी है। कहा कि संविधान के अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को रौंदा गया, संसद और न्यायपालिका को अपंग बना दिया गया। 1975 में आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया। कहा कि कांग्रेस सरकार ने कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका सहित लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बंधक बनाकर सत्ता के आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। प्रेस की स्वतंत्रता पर ऐसा हमला हुआ कि बड़े-बड़े अखबारों की बिजली काट दी गई, सेंसरशिप लगाई गई और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया। आज भी कांग्रेस शासित राज्यों में कानून व्यवस्था का हाल यह है कि वहां विरोध का दमन, धार्मिक तुष्टीकरण और सत्ता का अहंकार खुलेआम दिखता है। यह सब आपातकालीन सोच की ही उपज है।
एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मै उस समय 16 वर्ष का था ओर 11वीं में पढता था। एक दिन रात को पुलिस मेरे घर के दरवाजे पर आयी और पुछा कि शिवराज सिंह तुम्ही हो तो मैने कहा हां, इस पर पुलिस ने कहा इंदिरा गांधी के खिलाफ आवाज उठाएगा और इतना कहकर पुलिस ने मेरे हांथो में हथकडी लगाई और मुझे थाने ले गयी और रातभर मुझे यातनाए दी। कहा कि आज भी उस दिन को याद करता हूं तो रुह कांप जाती है। कहा कि आपातकाल के लिए कांग्रेस को देशवासियों से नाक रगडकर माफी मांगनी चाहिए।
पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष दिलीप पटेल, जिलाध्यक्ष व एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, महानगर अध्यक्ष प्रदीप अग्रहरि, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मोर्या, क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी नवरतन राठी, सह मीडिया प्रभारी संतोष सोलापुरकर, अशोक कुमार पांडेय उपस्थित रहे।
