चंदौली गैंगरेप प्रकरण में बड़ा मोड़ — हाई कोर्ट ने आदेश दिया डीएनए परीक्षण; अधिवक्ताओं शशांक शेखर त्रिपाठी व आशुतोष शुक्ला की पहल हुई निर्णायक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चंदौली के चर्चित गैंगरेप प्रकरण में न्यायिक प्रक्रिया को निर्णायक दिशा देते हुए पीड़िता के गर्भस्थ/जन्मे बच्चे के डीएनए परीक्षण का आदेश पारित किया है। यह आदेश वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी और वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष शुक्ला द्वारा किए गए विस्तृत विश्लेषण, रिकॉर्ड परीक्षण तथा राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रस्तुत शिकायत के बाद आया है।

दोनों अधिवक्ताओं ने मामले की समग्र फाइल, चिकित्सीय रिपोर्ट, पीड़िता के बयान और घटनाक्रम की वास्तविकता का गहन अध्ययन किया। इसी आधार पर दायर किए गए बेल आवेदन में डीएनए परीक्षण की न्यायहित में आवश्यकता को रेखांकित किया गया। न्यायालय ने इस मांग को स्वीकार करते हुए निर्देश दिया—
पीड़िता के बच्चे का डीएनए सैंपल जन्म के एक सप्ताह के भीतर लिया जाए,
अभियुक्त का भी डीएनए नमूना लिया जाए,
दोनों सैंपल FSL भेजे जाएँ,
रिपोर्ट अगली नियत तिथि से पूर्व न्यायालय में प्रस्तुत की जाए।
अधिवक्ताओं के अनुसार, इस आदेश के बाद यह भी स्पष्ट होगा कि अधिवक्ता के भतीजे राही पटेल को फंसाने का प्रयास तथ्यात्मक रूप से कितना सही या गलत था। यह फैसला पूरे प्रकरण की वास्तविकता उजागर करने में अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
अधिवक्ताओं के आधिकारिक बयान
वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर त्रिपाठी
“यह मामला कई असंगतियों और संदेहों से घिरा हुआ था। सत्य तक पहुँचने का सबसे विश्वसनीय तरीका डीएनए परीक्षण ही था। हाई कोर्ट का यह आदेश न्याय के मूल सिद्धांतों की विजय है और हमें विश्वास है कि अब वास्तविक सत्य सामने आएगा।”
वरिष्ठ अधिवक्ता आशुतोष शुक्ला
“हमारी प्राथमिकता निष्पक्ष जांच थी। राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग और न्यायालय में प्रस्तुत तथ्यों के बाद यह आदेश एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल मामले को स्पष्ट करेगा, बल्कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”








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