July 14, 2025 12:50 am

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अहमदाबाद विमान दुर्घटना मरने वाले डॉक्टरों की लाशें इधर-उधर पड़ी हैं और वे हमें घर खाली करने पर मजबूर कर रहे हैं!उनकी एक पीड़ा ये भी है

अहमदाबाद  विमान दुर्घटना मरने वाले डॉक्टरों की लाशें इधर-उधर पड़ी हैं और वे हमें घर खाली करने पर मजबूर कर रहे हैं!उनकी  एक पीड़ा ये भी है

जब भी कोई दुर्घटना होती है, तो सिस्टम लोगों पर मनमानी करता है। 12 जून, 2025 को टाटा कंपनी का यात्री विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से उड़ा और मेघानीनगर में मेडिकल छात्रों के छात्रावास में जा गिरा। डॉक्टर का परिवार अस्पताल में इलाज करा रहा है, जबकि डॉक्टरों पर तुरंत घर खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कुल कितने मेडिकल छात्र/डॉक्टर मरे? कितने नागरिक मरे? सरकार ब्योरा छिपा रही है।

डॉ. अनिल और उनकी पत्नी असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। उनकी हालत मजबुरो जैसी है। उनके शरीर और कपड़ों पर काली राख चिपकी हुई है। 13 जून की रात नौ बजे वे सरकारी आवास खाली कर रहे हैं। वे रोते हुए कहते हैं, “जब विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, तब मैं और मेरी पत्नी अस्पताल में ड्यूटी पर थे। घर पर मेरी ढाई साल की बेटी और नौकरानी थी। मेरी बेटी का अभी धुंए के कारण इलाज चल रहा है। अभी मैं अपनी बेटी के पास रहने की बजाय अपना सामान ले जा रहा हूं। मेरा आधा घर जल गया है। लेकिन मुझे घर चलाने के लिए जरूरी सामान लाने का समय तो दीजिए! क्या हम इंसान नहीं हैं? मैं घर खाली करने के लिए दो-तीन दिन मांग रहा हूं। जो डॉक्टर मर गए हैं, उनकी लाशें पड़ी हैं और वे हमसे घर खाली करवा रहे हैं!”

यह तो समझ में आता है कि विमान दुर्घटना की जांच के लिए प्रभावित क्षेत्र को खाली करवाना पड़ता है। लेकिन जिनके आधे घर जल गए हैं, जिनके परिवार अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए दो दिन का समय दिया जाए तो क्या दिक्कत है? इसके अलावा कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई। सामान लेकर तुरंत कहां जाएं? यह सवाल भी उलझन भरा है!

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि गुजरात का मीडिया भी इस मामले पर चुप है!
Via Rajesh Umaret

Liveupweb
Author: Liveupweb

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