” हरि प्रबोधिनी एकादशी पर पूजे गए आदिकेशव ”
” पर्यावरण संरक्षण की कामना से नमामि गंगे ने बांटे तुलसी के पौधे ”
देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह के अवसर के पावन अवसर पर शनिवार को नमामि गंगे ने काशी के प्राचीनतम विष्णु तीर्थ आदिकेशव मंदिर में विधिवत पूजन-अर्चन किया। भगवान श्रीहरि विष्णु के आदिकेशव स्वरूप, माता लक्ष्मी एवं माता तुलसी की भक्ति भाव से आरती उतारी गई और भारतवर्ष की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की गई। पूजन के दौरान श्रद्धालुओं ने ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ नमो नारायणाय और शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं… जैसे वैदिक मंत्रों का जाप करते हुए भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। इसके पश्चात पर्यावरण संरक्षण की भावना से प्रेरित होकर श्रद्धालुओं में तुलसी के पौधों का वितरण किया गया और आरोग्य भारत की कामना की गई। पूजन के उपरांत नमामि गंगे टीम ने आदिकेशव घाट पर स्वच्छता अभियान भी चलाया। इस अवसर पर काशी क्षेत्र के नमामि गंगे संयोजक राजेश शुक्ला ने भगवान विष्णु से देशवासियों के सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और संस्कृति की रक्षा की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि श्री हरि भगवान विष्णु से तुलसी विवाह का पर्यावरणीय महत्व है । तुलसी के पौधे औषधीय और पर्यावरण शुद्धिकरण गुणों को प्रोत्साहित करते है। हरि प्रबोधिनी एकादशी का पर्व लोगों को तुलसी के पौधों की देखभाल के लिए प्रेरित करता है, जो हवा को शुद्ध करते हैं, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और सकारात्मक माहौल बनाते हैं। तुलसी को “प्रकृति का प्रतिनिधि” माना जाता है और नारायण से विवाह प्रकृति और ईश्वर के बीच सामंजस्य को दर्शाता है। आयोजन में आदिकेशव मंदिर के महंत पं. ओंकार नाथ त्रिपाठी, नंदलाल कुशवाहा, गोविंदलाल पाण्डेय, दिवाकर मिश्रा सहित श्रद्धालु उपस्थित रहे।








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